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April 20.2020
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LALIT AND KHUSHBU
April 20.2020
LALIT AND KHUSHBU
आपने अक्सर सुना होगा कि परिवार के पास जमीन जायदाद होते हुए भी बच्चें शहरो में नौकरी के लिए भटकते रहते हैं। लेकिन , ललित देवड़ा और उनकी पत्नी खुशबू ने लाखों का पैकेज छोडकर खेतीबाड़ी संभाली और अब कामयाबी की तरफ बढ़ रहे हैं। ललित एमबीए डिग्रीधारी व पत्नी सीए है। पढ़ाई के तुरंत बाद इनके पास जॉब के आॅफर आए लेकिन मिट्टी से जुडने की ललक इन्हें घर व माटी तक खींच लाई। नौकरी छोड़ अब पूरी तरह खेतीबाड़ी में रम गए हैं।
शहर से करीब 12 किमी दूर उजीर सागर मंडोर निवासी ललित ने पूणे महराष्ट्र से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। मार्केटिंग और फाइनेन्स में अव्वल रहे। एक निजी बैंक कम्पनी से सिक्योरिटी रिलेशनशिप मैनेजर के लिए 6 लाख रुपए का आॅफर आया। कई अन्य निजी कम्पनियों ने आठ से दस लाख रुपए तक का आॅफर भी दिया, लेकिन इसे ठुकराकर अपने गांव आ गए। यहां आकर पाली निवासी खुशबू से शादी की। खुशबू ने भी बाद में नौकरी छोड़ ललित का खेतीबाड़ी में साथ दिया। ललित ने परिस्थिति को ग्रीन हाउस से अनुकूल बनाया। बूंद-बूंद सिंचाई का उपयोग किया। इससे वातावरण को ठंडा करने और अधिक धूप से बचाव का भी काम होता है। ककड़ी के अलावा लाल पीली शिमला मिर्च, टमाटर की फसल उगा चुके हैं। खेती में बढ़ते रसायनों के उपयोग को कम करने के लिए उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा दिया। वर्मी कंपोस्ट इकाई भी लगाई।
बकौल ललित बड़े शहरों में कई कम्पनियां हर साल सब्जी के व्यवसाय से करोड़ों रुपए कमाती है जबकि उनके पास इतनी जमीन भी नहीं है। उन्होंने गुजरात जाकर देखा तो पता चला कि एक से दो बीघा जमीन पर आधुनिक तरीके से उद्यानिकी फसलों व संरक्षित खेती के माध्यम से यह कार्य किया जा सकता हैं। बस यहीं से उन्होंने ठान लिया कि खेती ही करेंगे। ललित ने बताया कि जब वे लाखों की नौकरी छोडकर घर आए और खेती की इच्छा जताई तो सभी ने ताना मारा। पिता ब्रह्मसिंह से पारिवारिक 12 बीघा में से केवल 400 वर्ग मीटर जमीन मांगी। इसमें फिर उन्होंने सेडनेट हाउस लगाया। बाद में पोली और नेट हाउस भी बना दिए।